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B.Pharma course in हिंदी

नमस्कार दोस्तों। आज हम बात करेंगे फार्मेसी से जुड़े  कोर्सेज के विषय मे जैसा कि इस से पूर्व के ब्लॉग मेरे द्वारा कहा गया था।
दोस्तों इस से पूर्व हमने डी.फार्मा कोर्स के बारे में जाना। आज हम जानेंगे बीफार्मा कोर्स के बारे में।
बी.फार्मा - बी.फार्मा पाठ्यक्रम 4 वर्ष का पाठ्यक्रम है। जिसमे छात्रों द्वारा 8 सेमेस्टर पड़े जाते हैं। इसमे सेमेस्टर बेस एग्जामिनेशन सिस्टम होता है।
बीफार्मा कोर्स में प्रवेश लेने हेतु छात्र को 10 +2 यानी 12 पास होना आवश्यक है। तथा छात्र/ छात्रा का साइंस स्ट्रीम से होना आवश्यक है। वह  फिसिक्स, केमिस्ट्री,मैथ्स से या फिसिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी में हो सकता है।
इस कोर्स को करने के लिए 12 वी कक्षा में कम से कम 50℅ अंक होना आवश्यक होता है । इस से पर्व हमने जिस डी.फार्मा कोर्स के बारे में जानकारी ली थी । वह कोर्स फार्मेसी के छेत्र में डिप्लोमा कोर्स था तथा यह बी.फार्मा कोर्स  फार्मेसी के चैत्र में डिग्री कोर्स है ।
जो एक की स्नातक स्तर का कोर्स है।
बी.फार्मा  में एड्मिसन के लिये कुछ उच्च स्तरीय एंट्रेंस टेस्ट अलग अलग राज्यों तथा विश्वविद्यालयों द्वारा समय समय पर करवाये जाते  है।जैसे:-
1. BHU B.pharma entrances test.
2.WB JEE entrance test.
3. MHT CET entrance test.
4. GPAT entrance test .
5. BITSAT entrance test.

इन कुछ एंट्रेंस टेस्ट के अलावा वो एंट्रेंस टेस्ट भी बीफार्मा के लिए  होते हैं जिनका विवरण इस से पूर्व के ब्लॉग में मेरे द्वारा बताए गया  हैं।

बीफार्मा कोर्स में 8 सेमेस्टर जो  विषय  छात्र द्वारा पड़े जाते हैं उनकी संख्या तो प्रतेक सेमेस्टर के हिसाब से बहुत ज्यादा है परंतु मूलतः जो विषय  पढ़ाये जाते है। वो निम्न प्रकार हैं।
1.बायोकेमिस्ट्री।
2.ह्यूमन एनाटोमी एंड फिजियोलॉजी।
3.फार्मक्यूटिकल बायोटेक्नोलॉजी।
4.फार्मक्यूटिकल मैथ्स बायोस्टेटिक्स।

बीफार्मा कोर्स में जो specilization प्रदान की जाती है। वह इस प्रकार है।

1. फार्मक्यूटिकल केमिस्ट्री।
2.फार्मक्यूटिकल टेक्नोलॉजी।
3.क्लीनिकल फार्मेसी।
4. आयर्वेद।
5. फार्मक्यूटिक्स।
6. फार्मेसी प्रैक्टिस।
7.फार्मोकोनोसिय।
8.फार्मोकोलॉयजी।
9.फार्मक्यूटिकल एनालिसिस एंड क्वालिटी इन्शुरन्स।

भारत मे कुछ टॉप कॉलेजेस जिनमे या कोर्स किया जा सकता है उनका नाम तथा साथ ही शुल्क की जानकारी है।

1. जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी नई दिल्ली।
शुल्क - 14,50,00 हर साल
Seats की संख्या- 120
एंट्रेंस टेस्ट -NEET

2. पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़।
शुल्क - 67,665 कुल
Seats की सांख्य -46
एंट्रेंस टेस्ट- PU- CET

3.मणिपाल कॉलेज ऑफ फार्मक्यूटिकल साइंसेज।
शुल्क- 11  लाख कुल
Seats की संख्या - 100
एंट्रेंस टेस्ट - MET


4. इंस्टीटूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी.
शुल्क - 3.41 लाख कुल
शीटों की संख्या -30
एंट्रेंस टेस्ट - NEET MHT

5. बिरला इंस्टीटूट ऑफ टेक्नोलॉजी साइंसेज
शुल्क - 17.38 लाख कुल
शीटों की संख्या - 60
एंट्रेंस टेस्ट- BITS

To be countinue................................
Read countinue in next blog
Thanks



 




D.Pharma,B.Pharma,M.Pharma Which is Better Pharmacy Career Option In हिन्दी

नमस्कार। दोस्तों आज हम बात करेंगे एक ऐसे  विषय की जो हमारे स्वास्थ्य से जुड़ा है। जी हाँ दोस्तों।आज का विषय है फार्मेसी । जिसे सरल शब्दों में दावा विज्ञान या फार्मक्यूटिकल साइंस भी कहते हैं।फार्मेसी की शिक्षा हमारे द्वारा निम्नलिखित तीन कोर्स के अंतर्गत ली जाती है।
1. डी.फार्मा (D.Pharma)
2.बी.फार्मा (B.Pharma)
3.एम.फार्मा (M.Pharma)
इस विषय मे  हम जो शिक्षा ग्रहण करते हैं उसे कहते हैं फार्मेसी एजुकेशन
फार्मेसी एजुकेशन क्या है। (What is pharmacy education)
फार्मेसी एजुकेशन का उद्देश्य दवाओं को सुरक्षित प्रभावी बनाने के साथ साथ इसका सही उपयोग सुनश्चित करना है व  दवाओं को बनाना उनका वितरण तथा दवाओं के क्षेत्र में नए अनुसंधान करना भी है।
फार्मेसी संबंधी  पाठ्यक्रमों को संस्थानों में  चलाने  के लिए संस्थानों का एप्रूवल पी सी आई द्वारा दिया जाता है।
PCI - Pharmacy council of india
पी सी आई- भारतीय भेषजी परिषद्
फार्मेसी के अंतर्गत मूलतः तीन पाठ्यक्रम आते है जिनके नाम मै आपको ऊपर बात चुका हूं। अब हम फार्मेसी पाठ्यक्रमों को समझते हैं।

1. डी.फार्मा (D. P harma) - यह पाठ्यक्रम फार्मेसी कोर्सों के निचले क्रम में आता है । परंतु बहुत महत्वपूरण पाठ्यक्रम है। यह एक डिप्लोमा पाठ्यक्रम है। तथा बहुत अच्छा कैरियर उन्मुख कार्यक्रम (carriour orinted program)है । इसमे  छात्रों को फार्मक्यूटिकल विज्ञान का बेसिक ज्ञान प्रदान किया जाता है।

डीफार्मा कोर्स करने हेतु पात्रता (eligiblity for d.pharma course) - डी.फार्मा करने हेतु छात्र को 10+2  यानी 12वी पास किसी भी स्ट्रीम (कुछ राज्यों में PCB व PCM अनिवार्य) से होना चाइये। तथा छात्र की आयु कम से कम 17 वर्ष होनी चाइये। तथा मिनिमम परसेंटेज  50% होना आवश्यक है। 

डी.फार्मा कोर्स में एडमिशन - डी.फार्मा कोर्स में एडमिशन  लेन के लिए आज के समय मे छात्रों के पास 3 तरिके हैं। 
1. सरकारी प्रवेश परीक्षा देकर।( पूरे भारत मे सरकार द्वारा कुछ परीक्षाएं करवाई जाती है जैसे:- 
. CPMT -Combined Pre-Medical Test
. PMT - Pre Medical Test
. GPAT -Graduate Pharmacy Aptitude Test
. UPSEE- Uttar Pradesh State Entrance Examination
.AU AIMEE - All India Medical Entrance             Examination
. JEE PHARMACY - Joint Entrance Exam   PHARMACY

2. 12वी के नंबरों पर मेरिट के आधार पर।

3. संस्थान में सीधा प्रवेश ( कुछ संस्थानों द्वारा यह सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।)

डी.फार्मा कोर्स की अवधि 2 वर्ष की होती है। इसमे सेमेस्टर बेस एग्जामिनेशन सिस्टम होता है। 
प्रथम वर्ष में  छात्र द्वारा 6 विषयों का अध्यन किया जाता है जिनका विवरण या नाम निम्न प्रकार है।
1. फार्मक्यूटिक्स-1st
2. फार्मक्यूटिकल केमिस्ट्री
3.  फार्माकोग्नॉसी
4. बायोकेमिस्ट्री क्लीनिकल पैथोलॉजी
5. ह्यूमन एनाटॉमी फिजियोलॉजी
6. हेल्थ एजुकेशन कम्युनिटी फार्मेसी


तथा दूसरे वर्ष में भी छात्रों द्वारा 6 विषयों का अध्यन किया जाता है जो निम्न प्रकार हैं।
1. फार्मक्यूटिक्स-2nd
2.फार्मक्यूटिकल केमिस्ट्री- 2nd
3.फार्माकोलॉजी टॉक्सिकोलॉजी
4. फार्मक्यूटिकल jurisprudence
5. ड्रग स्टोर बिज़नेस मैनेजमेंट
6. हिस्पिटल क्लीनिकल फार्मेसी

डी.फार्मा कोर्स करने के बाद छात्र अपना भविष्य बहुत से क्षेत्र में बना सकता है जैसे रिसर्च एजेंसी, हॉस्पिटल, केमिस्ट शॉप,फार्मक्यूटिकल फर्म आदि।

फार्मेसी के क्षेत्र में उच्च स्तरीय संस्थान कोर्स करने हेतु
1. Jamiya hamdard University, new Delhi.
2. Punjab university, Chandigarh.
3.national institute of pharmaceutical education and research, Punjab.
4. institute of chemical technology.
5. Birla institute of technology science.

बी. फार्मा  तथा एम.फार्मा कोर्स के बारे में जानकारी अगले अंक में

धन्यवाद
कैलाश भट्ट
आपका दिन मंगलमय हो।


Hello. Friends, today we will talk about a topic which is related to our health. Yes friends. Today's topic is Pharmacy. Which is also called Dawa Science or Pharmaceutical Science in simple words. The education of pharmacy is taken by us under the following three courses.
1. D.Pharma
2.B.Pharma
3.M.Pharma
The education we take in this subject is called Pharmacy Education.

What is Pharmacy Education?

The purpose of pharmacy education is to make medicines safe, effective as well as to ensure their correct use and to make medicines, their distribution and to do new research in the field of medicines.

The approval of the institutes is given by the PCI for running pharmacy related courses in the institutes.

PCI - Pharmacy council of India

There are basically three courses under Pharmacy, whose names I have told you above. Now let us understand pharmacy courses.

1. D.Pharma - This course comes in the lower order of Pharmacy courses. But the syllabus is very important. This is a diploma course. And there is a very good career oriented program. In this, the basic knowledge of pharmaceutical science is provided to the students.

Eligibility for D.Pharma course - To do D.Pharma, the student should have 10+2 ie 12th pass from any stream (PCB and PCM compulsory in some states). And the age of the student should be at least 17 years. And the minimum percentage should be 50%.

Admission in D.Pharma Course - In today's time, students have 3 ways to take admission in D.Pharma course.
1. By giving government entrance examination. (Some examinations are conducted by the government all over India such as:-
. CPMT -Combined Pre-Medical Test
. PMT - Pre Medical Test
. GPAT -Graduate Pharmacy Aptitude Test
. UPSEE- Uttar Pradesh State Entrance Examination
.AU AIMEE - All India Medical Entrance Examination
. JEE PHARMACY - Joint Entrance Exam PHARMACY

2. On the basis of merit on 12th marks.

3. Direct Admission to the Institute (This facility is provided by some institutes.)

The duration of the D.Pharma course is 2 years. It has a semester based examination system.
In the first year, 6 subjects are studied by the student, whose description or name is as follows.
1. Pharmaceutics-1st
2. Pharmaceutical Chemistry
3. Pharmacognosy
4. Biochemistry Clinical Pathology
5. Human Anatomy Physiology
6. Health Education Community Pharmacy


And in the second year also 6 subjects are studied by the students which are as follows.
1. Pharmaceutics-2nd
2.Pharmaceutical Chemistry- 2nd
3.Pharmacology Toxicology
4. Pharmaceutical jurisprudence
5. Drug Store Business Management
6. Hospital Clinical Pharmacy

After doing D.Pharma course, the student can make his future in many fields like research agency, hospital, chemist shop, pharmaceutical firm etc.

To do a high level institute course in the field of pharmacy
1. Jamiya hamdard University, New Delhi.
2. Punjab university, Chandigarh.
3.national institute of pharmaceutical education and research, Punjab.
4. Institute of chemical technology.
5. Birla Institute of Technology Science.

Note. Information about b. pharma and M.Pharma courses in the next blog

Thank you
Kailash Bhatt
Have a good day.

WHAT USE OF TECHNOLOGY IN EDUCATION AND MENTAL DEVELOPMENT IN हिन्दी

नमस्कार। आज हम बात करेंगे तकनीक का प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र  व मानसिक विकास  में क्या है अगर हम आज के परिवेश में वर्तमान समय को देखें तो मानव समाज  80%  तकनीकि का सहारा ले रहा है या किसी ना  किसी प्रकार  से तकनीक का प्रयोग कर रहा है।
अब जैसा कि आज का हमारा विषय है  तकनीक का प्रयोग शिक्षा के क्षेत्र में तथा मानसिक विकास में । तो सबसे पहले हम यह समझने का पर्याश करेंगे कि तकनीकी क्या है।
अगर सरल शब्दों में कहें तो जो हमारे काम को सरल बनाये तथा हमे किसी चीज को सरल तरह से समझने में मदद करे वही तकनीकी है अब आप सोचेंगे कि अगर ऐसा है तो कोई भी मशीन जो हमारे काम को सरल बनाये वह तकनीक है जबकि ऐसा बिल्कुल नही है क्योंकि मशीन तकनीक का एक छोटा सा भाग है जबकि तकनीकी शब्द व तकनीकी दुनिया अपने आप मे बहुत बड़ी है। अगर तकनीकी की मूल परिभासा दी जायेगी तो वह कुछ इस प्रकार से होगी।
तकनीकी - तकनीकी व्यज्ञानिक सिद्धान्तों का व्यावहारिक उदेश्य में प्रयोग मात्र है
शिक्षा तकनीक - तकनीक का शिक्षा के क्षेत्र में प्रयोग करना ही शिक्षा तकनीक है। जिसकी मदद से हम शिक्षा को रूचिकर, आकर्षक व सरल बनाते हैं। इसमे हम कंप्यूटर ,मोबाइल व इंटरनेट का प्रयोग करते हैं । इसके अलावा हम शिक्षा के लिए जिन अलग अलग मेथडस का प्रयोग करते हैं वह भी एक प्रकार की शिक्षा तकनीक ही है। B.Ed कोर्स में पूरा पाठयक्रम ही मेथड बेस होता है जो कि शिक्षा तकनीक के अंतर्गत आता है।

शिक्षा में तकनीक के उपयोग से निम्न उध्येशों को पूर्ण किया जाता है।
1.शिक्षण प्रकिर्या को सरल बनाने हेतु।
2.शिक्षा को रुचिकर बनाने हेतु।
3. शिक्षण को प्रभावी बनाने हेतु।
4. शिक्षण को स्थायी बनाने हेतु।
5. ज्ञान का संचय व प्रसार करने हेतु।
6. समय व ऊर्जा की बचत करने हेतु।

 शेक्षिक तकनीकी में पूरी तरह से व्यवहारिक ज्ञान पर जोर दिया जाता है । छात्रों को प्रैक्टिकल कर के दिखाने व छात्रों  को वीडियो तथा ऑडियों के माध्यम से समझाने पर ध्यान दिया जाता है जैसा कि मेरे इस से पूर्व के ब्लॉग में  मेरे द्वारा नई शिक्षा नीति में बताया गया है। वह नीति  पूरी तरह से शिक्षा तकनीक पर ही आधारित है।
शिक्षा तकनीक निरंतर विकाशसिल तकनीक है जिसमे हर रोज़ नए आयाम आते है। जैसे पूर्व के समय मे हम मैथ्स जैसे विषयों को समझने का लिए अबेसकैस का प्रयोग करते थे। तथा आज के समय में हम कम्प्यूटर मोबाइल व इंटरनेट का प्रयोग करते हैं जबकि वर्तमान समय की बात की जाए तो हम ऑनलाइन कक्षा में भाग लेने के लिए हमें andriod ऍप्लिकेशन्स का प्रयोग करते हैं जैसे- google meet, Zoom classes आदि।

अब हम बात करेंगे तकनीक शिक्षा से मानसिक विकाश कैसे क्योंकि अगर हम शेक्षिक तकनीक के बारे में ही बात करते रहेंगे तो जैसा की मेरे द्वरा पहले कहा गया है की शेक्षिक तकनीक अपने आप मे बहुत बड़ा विषय है। जिसे एक ब्लॉग में समझना आसान नही है। मेरे बीएड के मित्र इस बात को समझते  हैं इस लिए मेरे द्वारा पूरे शेक्षिक तकनीक पर एक रोशनी मात्र (बेसिक ज्ञान देने) डालने का पर्याश किया गया है
तकनीक शिक्षा से मानसिक विकाश (बौद्धिक विकाश)
तकनीकी शिक्षा से मानसिक विकाश बच्चे के जन्म के  बहुत बाद का विषय है। क्योंकि जब बच्चे का जन्म होता है तो वह मानसिक रूप से कोरे कागज के समान होता है । तथा वह तीन तरह से ज्ञान प्राप्त करता है 
1. जन्मजात
2. वंशक्रम
3. वातावरण
तथा बालक में  3 वर्ष की आयु तक 50% बुद्धि का विकाश हो जाता है। तथा आगे का ज्ञान बालक द्वारा स्कूल में लिया जाता है। जिससे 100% बुद्धि का विकाश होता है।
तो यह कहना कि तकनीकी शिक्षा से मानसिक विकास होता है। यह पूर्ण सत्य नही है तकनीकी शिक्षा सिर्फ शिक्षा को सरल तरीके से बालक तक पहुचना है। या बालक को समझने के प्रयोग में आती है। क्योंकि 50% विकाश बालक का बाल्यकाल में ही हो जाता है । तथा बाकी बचा  50% विकाश बालक का चिंतन तहत अनुभव से होता है

निष्कर्ष :- तकनीकी शिक्षा सिर्फ शिक्षा को सरल व रुचिकर बना कर एक सरल माध्यम से छात्र तक पहुँचाने का साधन है इस से छात्र चीजो को आसानी से समझ कर चिंतन कर सकता है तथा बुद्धि का विकास कर सकता है। पर यह कहना गलत होगा कि तकनीकी शिक्षा सीधे रूप से छात्र का मानसिक विकाश करती है
तकनीकी शिक्ष छात्र का मानसिक विकाश में सहायक है परंतु परोक्ष रूप से।

धन्यवाद
कैलाश भट्ट
आपका दिन मंगलमय हो।





Hello. Today we will talk about the use of technology in the field of education and mental development.
Now as our topic of today is the use of technology in the field of education and in mental development. So first of all we will try to understand what is technical.
If put in simple words, that which makes our work easy and helps us to understand something in a simple way, that is technology, now you will think that if it is so, then any machine which makes our work easy is technology, whereas it is absolutely so. No because machine is a small part of technology whereas technical term and technical world is very big in itself. If the basic definition of technology is given, it will be something like this.
Techno-Technological principles are only used for practical purposes.
Education technology - The use of technology in the field of education is education technology. With the help of which we make education interesting, attractive and easy. In this we use computer, mobile and internet. Apart from this, the different methods we use for education are also one type of education technology. In B.Ed course, the entire course is the method base which comes under education technology.

The following objectives are fulfilled by the use of technology in education.
1. To simplify the teaching process.
2. To make education interesting.
3. To make teaching effective.
4. To make teaching permanent.
5. To accumulate and disseminate knowledge.
6. To save time and energy.

 In educational technology, the emphasis is completely on practical knowledge. Attention is given to show the students practical and to explain to the students through video and audio as explained by me in the new education policy in my earlier blog. That policy is completely based on education technology.
Education technology is a constantly evolving technology, in which new dimensions come every day. Like in the past, we used to use abacus to understand subjects like maths. And in today's time we use computer, mobile and internet, whereas in the present time, we use android applications like google meet, zoom classes etc. to participate in online classes.

Now we will talk about how to develop mental from technical education, because if we keep talking about educational technology only, then as I have said earlier, educational technology is a very big topic in itself. Which is not easy to understand in a blog. My BEd friends understand this, so I have tried to throw a light on the whole educational technology (giving basic knowledge).

Mental development due to technical education (intellectual development)
Mental development from technical education is a matter long after the birth of the child. Because when a child is born, he is mentally like a blank paper. And he acquires knowledge in three ways
1. Congenital
2. Lineage
3. Environment
And by the age of 3 years, 50% of the intelligence in the child is developed. And further knowledge is taken by the child in the school. Due to which 100% intelligence develops.
So to say that technical education leads to mental development. This is not an absolute truth, technical education is just to make education reach the child in a simple way. Or is used to understand the child. Because 50% of the development of the child takes place in childhood itself. And the remaining 50% development comes from the experience of the child under contemplation.

Conclusion: - Technical education is only a means of making education simple and interesting and reaching the student through a simple medium, by this the student can understand things easily and think and develop intellect. But it would be wrong to say that technical education directly develops the mental development of the student.
Technical education is helpful in the mental development of the student but indirectly.

Thank you
Kailash Bhatt
Have a good day

My Point of View on (NEP - New Education Policy in India 2020 ) in हिंदी

नमस्कार। दोस्तों आज हम बात करेंगे नई शिक्षा नीति 2020 के  बारे में जो कि वर्तमान सरकार द्वारा प्रस्तुत की गई है। तथा corona virus को सापेक्ष में यह नीति कितनी प्रभावी होगी तथा इसका आने वाले समय मे हमे क्या फायदे मिलेंगे तथा इस मे क्या खामियां हैं ।

अभी तक भारत सरकार द्वारा तीन बार शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है  
पहला बदलाव वर्ष 1968.
दूसरा बदलाव वर्ष 1968.
तीसरा बदलाव वर्ष 2020.

इसके अनुसार यह तीसरा बदलाव है। शिक्षा नीति में बदलावों की आवश्यकता दुनिया मे हो रहे शिक्षा के परिवेश में परिवर्तन के अनुसार की जाती है। इस से पूर्व अगर आपने मेरे द्वारा लिखा ब्लॉग पड़ा होगा तो उस मे मेरे द्वार  ECA - EDUCATIONAL CREDENTIAL ASSESSMENT के बारे में पूरी जानकारी दी गयी है  आप उसको भी पड़ सकते हैं आपको समझने में आसानी होगी । अगर समय समय पर शिक्षा नीति में बदलाव ना किया जाए तो हमारे छात्रों को विदेशी विश्वविद्यालयों में प्रवेश लेने में कठिनायों का सामना करना पड़ सकता है।

नई शिक्षा नीति का मसौदा 2019 में पूरा कर लिया गया था

2017 में एक समित का गठन किया गया था जिसके अध्यक्ष इशारो प्रमुख रह चुके डॉक्टर के. कासुरीरंगन जी को बनाया गया था इस समिति ने ही नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार किया है।
अभी तक भारत मे पूर्व शिक्षा व्यवस्था के अनुसार 10+2 का प्रावधान था 
जिसमे सभी छात्र 1 से 10वी तक एक ही जैसे सब्जेक्ट पड़ते  थे  तथा 11 वी कक्षा में अपनी रुचि अनुसार अलग अलग विषयों का चयन करते थे तथा 12वी में भी चयन किये गए विषयों को ही पड़ते थे। इस को ही 10 +2 का प्रावधान कहा जाता है।

 A. नई शिक्षा नीति में इस  10+ 2 के प्रवधान मे ही सबसे बड़ा बदलाव किया गया है नई शिक्षा नीति में  5+3+3+4 का प्रावधान रखा गया है।  

B. जो विद्यार्थी की उम्र के हिसाब से 3 से 8, 8 से 11, 11 से 14 व 14 से 18 तक का है। 

अगर आप नई शिक्षा नीति के क्रम के सापेक्ष विद्यार्थी की उम्र को रखेंगे तो आपको समझने में आसानी होगी।

अब हम नई शिक्षा नीति के प्रावधान  तथा छात्र की आयु के सापेक्ष इसको समझने की कोसिस करेंगे जो की 5+3+3+4 है।

 5-----   बेसिक शिक्षा बच्चे पहले 3 साल तक आंगनबाड़ी केन्द्र में मुफ्त शिक्षा प्राप्त करेंगे फिर उसके उपरांत कक्षा 1 व 2 का अध्यन छात्र स्कूल में करेंगे कुल मिला कर हुआ 5 साल (इसके लिए नए पाठयक्रम का निर्माण किया जायेगा ) तथा छात्र ने 3 साल की उम्र पूरी होने पर आंगनबाड़ी में प्रवेश लिया था। इसके अनुसार  बेसिक शिक्षा पूरी करते समय छात्र की उम्र होगी 8 साल।  (A+ B = 8)
                                   +
3------परिप्रेट्ररी शिक्षा में कक्षा 3 से कक्षा 5 की शिक्षा दी जायेगी इसमे  विज्ञान, मैथ्स, आर्ट का ज्ञान प्रयोगों के द्वारा दिया जायेगा।   कुल मिला कर समय हुआ 3 साल ( छात्र द्वारा 8 साल की उम्र पूरी होने पर कक्षा 3 में प्रवेश लिया गया था।  और कक्षा 5 पूर्ण होने पर छात्र की उम्र होगी 11 साल। ( A +B= 11)
                                   +
3.......मिडल शिक्षा में  कक्षा 6 से कक्षा 8 तक कि शिक्षा दी जायेगी। इन कक्षाओं में विषय आधारित पाठ्यक्रम पढ़ाया जायगा। कक्षा 6 से ही व्यावसायिक तथा कौसल विकाश कोर्स भी करवाये जायँगे। जिसका औद्योगिक परशिक्षण्ड भी करवाया जायेगा। इस का मूल उदेशय यह है कि छात्र स्कूली शिक्षा के दौरान ही रोजगार हासिल करने के लायक बन सके। ( छात्र द्वारा 11 साल की आयु  में कक्षा 6 में प्रवेश लिया गया था तथा कक्षा 8 पूर्ण करने पर छात्र की आयु है 14 वर्ष है। (A+B = 14)
                                   +
4......secoundary शिक्षा में कक्षा 9 से कक्षा 12 तक कि शिक्षा करवाई जायगी जो दो चरणों मे पूर्ण होगी। इसमे विषयों को छात्र अपनी रुचि का अनुसार चुन सकता। इसमे विषयों के अध्ययन गहनता से करवाया जायेगा ( छात्र  द्वारा 14 साल की आयु में कक्षा 9 में प्रवेश लिया गया था तथा  कक्षा 12 पूर्ण करने पर छात्र की आयु होगी 18 वर्ष। ( A +B = 18)

10 वी तथा 12वी की बोर्ड परीक्षाएं ऑब्जेक्टिव व सब्जेक्टिव होंगी तथा वर्ष में दो बार आयोजित की जायँगी 
दोनो बार परीक्षा का स्वरूप अगल - अलग होगा।
साल में एक बार ऑब्जेक्टिव बेस तथा दूसरी बार सब्जेक्टिव बेस परीक्षा होगी।

 अब कक्षा 3,5 तथा 8वी में भी परीक्षाएं होंगी।
5 वी तथा 8वी कक्षा तक शिक्षा का माध्यम अपनी मातृभाषा या क्षेत्रीय  भाषा होगा। विदेशी 
भाषा की पढ़ाई secoundary कक्षा से होगी यानी 9 वी कक्षा से प्रारम्भ होगी । नई नीति में छात्र के पास भारत की कई  02 भाषाओ का चुनने का विकल्प भी होगा। जैसे पंजाब का छात्र पंजाबी के साथ साथ तेलगु भाषा भी सिख सकता है तथा हिन्दी भाषा जरूरी है इस को ही 3 भाषा सिस्टम कहा गया है।



अगर उच्च शिक्षा की बात करें तो इसमें भी बदलाव किए गए हैं

 उच्च शिक्षा में मल्टीपल एंट्री तथा एग्जिट सिस्टम  लागू किया गया है । जिससे छात्र को एक बहुत अच्छा विकल्प उपलब्ध होता है जैसे -
अगर कोई छात्र किसी कोर्स को बीच मे ही छोड़ देता है तो उसके साल बर्बाद नही होंगे। जैसे कोई छात्र किसी चार साल वाले कोर्स में प्रवेश लेता है जैसे कि BHMCT या B.TECH और एक साल कोर्स करने के बाद कोर्स छोड़ देता है तो उसे सर्टिफिकेट दिया जायगा। अगर 2 साल कोर्स करके कोर्स छोड़ता है तो उसे डिप्लोमा दिया जायेगा। 3 साल कोर्स करने के बाद छोड़ने पर इंटरमीडिएट सर्टिफिकेट तथा 4 साल पूरा करने पर उपाधी प्रदान की जायेगी। इस से छात्रों को यह फायदा होगा कि अगर वो कुछ साल बाद भी अगर किसी दूसरे कोर्स में प्रवेश लेता है तो उसके सर्टिफिकेट या डिप्लोमा को प्राथमिता दी जायेगी इसको क्रडिट ट्रान्सफर सिस्टम कहते हैं इसके लिए एक क्रेडिट बेस बैंक  भी विश्वविद्यालयों द्वारा बनाया जायेगा जिससे छात्रों को डिग्री देने में आसानी हो।
नई शिक्षा नीति में तीन साल की डिग्री कोर्स करने वाले छात्र रिसर्च या अध्यन के कि क्षेत्र  में नही जा पायंगे। रिसर्च में सिर्फ 4 साल की डिग्री ही मान्य होगी। 

अभी तक हमने नई शिक्षा नीति को समझा तथा इसके फायदे जाने। अब हम देखते हैं इसके नुकसान या यूं कहें इसके लागू होने में होने वाली समस्याएं

1. नई शिक्षा नीति में  कक्षा 5 से 8वी तक क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई की बात की गई है। जबकि इतने कम समय मे लोकल भाषा में कुशल अध्यापको का मिलना बहुत मुश्किल है या यूं कहूँ की नामुमकिन है। व किताबें भी आपको लोकल भाषा में ही प्रिंट करनी पड़ेंगी और इसमे मैथ्स साइंस जैसे विषयों को लोकल भाषा पढ़ाने की बात की गई  हैं।
2. इस नीति से सरकारी स्कूलों तथा प्राइवेट स्कूल में एक गैप बनेग जिसका नुकसान छात्रों को  होगा। क्योंकि प्राइवेट स्कूल इंग्लिश पर पूरा ध्यान देंगे जबकि इसके सापेक्ष में गवर्मेंट स्कूल लोकल भाषा पर ज्यादा ध्यान केन्द्रित करेंगे। तो छात्रों में एक गैप की स्थती उतपन होगी।
3. उच्च शिक्षा में जो एग्जिट का ऑप्शन दिया गया है। उसका उपयोग गलत तरिके से करना जैसे कोई छात्र 4 साल के किसी कोर्स में प्रवेश लेता है और 2 साल बाद छोड़ देता है तो उसे डिप्लोमा मिलेगा। तो वह जल्दी नोकरी पाने  के लिए इस का उपयोग कर सकता है।  तथा पढ़ाई का खर्चा न उठा पाने का कारण भी कोर्स छोड़ सकता है । तथा डिप्लोमा ले कर रोजगार शुरू कर सकता है ।इस से तो यह प्रतीत होता  है की कोई भी छात्र कोर्स पूरा ही नही करेगा। इस से तो एजुकेशन का स्तर देश मे बहुत नीचे आ जायेगा। जिस स्तर को ऊपर लाने के लिए इस नीति को लाया गया।

4.RTE -RIGHT TO EDUCATION शिक्षा के अधिकार अधिनियम का भी पालन पूरी तरह से नही हो रहा है ( संसय की स्थिति) RTE ACt में ओपन स्कूलिंग का प्रावधान नही है पर नीति में तीन साल तक ओपन स्कूलिंग (आंगनबाड़ी) की बात की गई है परंतु अभी सरकार के द्वारा 10 साल यानी 2030  तक कुछ प्रावधान या नीति की बात की गई है। तो इसको पूरी तरह से समझने में समय लगेगा।

कोरोना वायरस का  प्रभाव 

अभी तक नई शिक्षा नीति को पेश किए हुए एक साल हुआ है तथा सरकार द्वारा सभी सब्जेक्टिव मेटीरियल व पाठयक्रम को ऑनलाइन इंटरनेट पर डालने की बात की गई है। सभी छात्र उसे डाऊनलोड कर अध्यन कर सकते हैं। तो corona वायरस या crona काल होने पर भी इसका नई शिक्षा नीति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता नही दिख रहा है। शायद इसका कारण यह भी है कि सभी छात्र वर्तमान समय में ऑनलाइन पढ़ाई के अनुकूल हो चुके  हैं।

निष्कर्ष:-
1. नई शिक्षा नीति बहुत ही देर से प्रस्तुत की इस प्रकार की नीति को पहले ही लागू हो जाना चाइये था। नई शिक्षा नीति छात्रों को सोचने का नया आयाम प्रदान करती है। जिस से छात्रों की सोच का स्तर बढेगा व कम उम्र से ही अपने अंदर के हूनर या प्रतिभा को छात्र पहचान पाएंगे व अपने भविष्य को नया आयाम दे पायंगे।

2. नई शिक्षा नीति में कुछ बदलावों की आवश्यकता है । परंतु यह होना भी संभव है कि नई शिक्षा नीति के लागू होने के बाद इसकी जो खामियां है वो समय के साथ साथ पूरी तरह से लुप्त हो जाएं।

3. आज की इस ऑनलाइन इंटरनेट की दुनिया कोरोना वायरस का एजुकेशन सिस्टम पर कोई ज्यादा प्रभाव देखने को नही मिला है। क्योंकि सभी कक्षाएं ऑनलाइन आयोजित की जा रही हैं ।

अंततः मानव समाज ने कोरोना जैसे वायरस के  साथ जीना सीख लिया है।

धन्यवाद
कैलाश भट्ट
आपका दिन मंगलमय हो।




Hello. Friends, today we will talk about the new education policy 2020 which has been presented by the current government. And how effective will this policy be relative to the corona virus and what will be the benefits we will get in the coming time and what are the flaws in it.

Till now the education policy has been changed thrice by the Government of India.
First change year 1968.
Second change year 1968.
Third change year 2020.

Accordingly, this is the third change. Changes in education policy are needed according to the changes in the education environment happening in the world. Before this, if you have had a blog written by me, then in it complete information about ECA - EDUCATIONAL CREDENTIAL ASSESSMENT has been given by me, you can also read it, you will find it easy to understand. If education policy is not changed from time to time, our students may face difficulties in getting admission in foreign universities.

The draft of the new education policy was completed in 2019

In 2017, a committee was formed whose chairman was Dr K.K. Kasurirangan ji was made, this committee has prepared the draft of the new education policy.



Till now, according to the earlier education system in India, there was a provision of 10+2.
In which all the students used to study the same subjects from 1st to 10th and in class 11th they used to choose different subjects according to their interest and in 12th also they had to study the selected subjects. This is called the provision of 10 + 2.

 A. The biggest change has been made in the provision of this 10+2 in the new education policy itself. The provision of 5+3+3+4 has been kept in the new education policy.

B. Which is from 3 to 8, 8 to 11, 11 to 14 and 14 to 18 according to the age of the student.

If you keep the age of the student relative to the order of the new education policy, then it will be easier for you to understand.

Now we will try to understand the provision of new education policy and its relative to the age of the student which is 5+3+3+4.

 5----- Basic education children will get free education in Anganwadi center for first 3 years, then after that students will study class 1 and 2 in school overall for 5 years (new curriculum will be created for this) and The student had taken admission in Anganwadi on completion of 3 years of age. According to this, the age of the student at the time of completing basic education will be 8 years. (A+ B = 8)
                                   +
3------In the peripheral education, education from class 3 to class 5 will be given, in which the knowledge of science, maths, art will be given through experiments. The total time taken is 3 years (Admission was taken by the student in class 3 on the completion of 8 years of age. And the age of the student on completion of class 5 will be 11 years. ( A +B= 11)
                                   +
3.......In middle education, education will be given from class 6 to class 8. Subject based curriculum will be taught in these classes. Vocational and skill development courses will also be conducted from class 6 onwards. For which industrial training will also be done. The basic objective of this is that the student should be able to get employment during school education itself. (The student took admission in class 6 at the age of 11 and the age of the student after completing class 8 is 14 years. (A+B = 14)
                                   +
4. In the secondary education, education will be conducted from class 9 to class 12, which will be completed in two phases. In this, the student can choose the subjects according to his interest. In this, the study of subjects will be done intensively (Admission was taken by the student in class 9 at the age of 14 and after completing class 12, the age of the student will be 18 years. ( A + B = 18)

Board exams of 10th and 12th will be objective and subjective and will be conducted twice a year.
The nature of the examination will be different for both the times.
Once in a year there will be Objective Base and second time there will be Subjective Base Examination.

 Now there will be examinations in class 3, 5 and 8 also.
The medium of instruction up to class 5th and 8th will be your mother tongue or regional language. Foreigner
The study of the language will be done from the second class i.e. will start from the 9th class. In the new policy, the student will also have the option to choose from several languages ​​of India. Like a student of Punjab can learn Telugu language along with Punjabi and Hindi language is necessary, it is called 3 language system.



If we talk about higher education, then changes have been made in it too.

 Multiple entry and exit system has been implemented in higher education. Due to which a very good option is available to the student like -
If a student leaves a course in the middle, then his years will not be wasted. For example, a student takes admission in a four-year course such as BHMCT or B.TECH and leaves the course after completing one year, then he will be given a certificate. If he leaves the course after completing 2 years, then he will be given a diploma. Intermediate certificate will be given on leaving after completing 3 years course and degree will be given on completion of 4 years. This will benefit the students that even after a few years, if he takes admission in any other course, then his certificate or diploma will be given priority. Make it easy to get a degree.
Students doing three-year degree course in the new education policy will not be able to go to the field of research or study. in researchOnly 4 years degree in research will be valid.

So far we have understood the new education policy and know its benefits. Now we see its disadvantages or rather problems in its implementation.

1. In the new education policy, there has been talk of studying in the regional language from class 5 to 8. Whereas in such a short time it is very difficult to find skilled teachers in the local language or rather it is impossible. And you will also have to print books in the local language itself and it talks about teaching subjects like Maths Science in the local language.
2. With this policy, a gap will be created between government schools and private schools, which will harm the students. Because private schools will give full attention to English, whereas government schools will focus more on the local language. So there will be a gap between the students.
3. The exit option given in higher education. Using it in a wrong way like if a student takes admission in a course of 4 years and leaves after 2 years then he will get diploma. So he can use this to get quick job. And the reason for not being able to bear the cost of studies can also leave the course. And one can start employment by taking diploma. From this it appears that no student will complete the course. Due to this, the level of education will come down very low in the country. The level up to which this policy was brought in.

4.RTE -RIGHT TO EDUCATION The Right to Education Act is also not being followed completely (state of comprehension) There is no provision of open schooling in RTE Act, but the policy talks about open schooling (Anganwadi) for three years. But now some provision or policy has been talked about by the government for 10 years i.e. till 2030. So it will take time to understand it completely.

effect of corona virus

So far it has been one year since the introduction of the new education policy and there has been talk of putting all the subjective material and syllabus online on the internet by the government. All the students can download and study it. So even if there is corona virus or corona period, it does not seem to have an adverse effect on the new education policy. Perhaps the reason for this is also that all the students have adapted to online studies in the present time.


Conclusion:-
1. New education policy presented very late, this type of policy should have been implemented earlier. The new education policy provides a new dimension of thinking to the students. Due to which the level of thinking of the students will increase and from an early age, students will be able to recognize the talent or talent inside them and will be able to give a new dimension to their future.

2. Some changes are needed in the new education policy. But it is also possible to happen that after the implementation of the new education policy, its shortcomings may disappear completely with time.

3. In today's online internet world, the corona virus has not seen much effect on the education system. Because all the classes are being conducted online.

Human society has finally learned to live with a virus like Corona.

Thank you
Kailash Bhatt
Have a good day.





Document Verification for Foreign (ECA -Educational credential assessment) with the help of (WES - World Education services) in हिंदी

नमस्कार। दोस्तों आज हम बात करेंगे स्नातक तथा परास्नातक के उपरांत विदेश से पढ़ाई करने के लिए कौन - कौन से दशतावेजो की आवश्यकता होती है। तथा उन्हें किस प्रकार से बनवाया व verify वेरीफाई करवाया जाता है।
दोस्तों जब आप अपनी स्नातक या परास्नातक की शिक्षा पूर्ण कर लेते हैं। तब विश्वविद्याय द्वारा आपको अंकतालिका और उपाधि प्रदान की जाती है।
इसके उपरांत आपको  अगर विदेश से आगे की शिक्षा प्राप्त करनी होती है तो सबसे पहले आपको अपने दशतावेजो का ECA करवाना होता है। 
दस्तावेजों का ECA निम्न कार्यों के लिए करवाया जाता है।

अग्रिम पढ़ाई के लिए ,
 आप एक कुसल काम करने वाले के रुप मे एक्सप्रेस एन्ट्री में आवेदन कर रहे हैं तथा PR VISA APPLY करते समय।

ECA - Education Credential Assessment एक शैक्षिक क्रेडेंशियल मूल्यांकन (ईसीए) का उपयोग यह सत्यापित करने के लिए किया जाता है कि आपकी  डिग्री,  प्रमाण पत्र (या आपके क्रेडेंशियल का अन्य प्रमाण) वैध है। 
इस को करने के लिए वर्तमान समय मे 5 (पांच )  एजेंसी  सेवा प्रदान करती हैं  जिनके  नाम इस प्रकार  हैं।
1. WES - World Education Services
2. IQAS - International Qualification Assesment                        services
3. CES - Comparative Education Service
4. ICAS - International Credential Assessment                          Service 
5. ICES - International Credential Evaluation

नोट : IQAS द्वारा 19 नवंबर 2020 से ECA के आवेदन स्वीकार नही किये जा रहे हैं।  IQAS का उपयोग ECA हेतु ज्यादातर फार्मासिस्ट या ब.फार्म किये छात्रों द्वारा किया जाता हैं।

ऊपर लिखी सभी सर्विसेज में से सबसे तेज़ व जल्दी वरीफिकेशन के कार्य को पूर्ण WES सर्विस करती है। हम इस ब्लॉग में WES सर्विस के बारे मे ही बात करेंगे।

WES में आवेदन करने के लिए आपके पास अपनी मार्कशीट की फ़ोटो कॉपी ही पर्याप्त होती है। WES आवेदन करने के बाद आपको एक WES रेफ्रेंस नबर तथा एक एड्रेस प्राप्त होता है।
इसके बाद आपको WES आवेदन  का एक पूरा भरा गया प्रिंटआउट व सभी मार्कशीट व डिग्री की फ़ोटो कॉपी व ट्रांस्क्रिप्ट  अप्लाई फॉर्म भर कर आपको अपने विश्विद्यालय में जमा करना होता है जिस विश्वविद्यालय से अपने शिक्षा प्राप्त की है। इसकी फीस सभी विश्वविद्यालयों में अलग - अलग होती है


जो 1500 रु से 2500 रु तक होती है उसके बाद यूनिवर्सिटी द्वारा आपकी ट्रांस्क्रिप्ट प्रिंट की जाती है  व आपको पूर्व में निर्गत की गई  डिग्री को वेरीफाई कर के  आपके द्वारा दिया गया WES के आवेदन को वेरीफाई करने के पश्चात एक बन्द लिफाफे में WES आवेदन में दिए गए पते(Adress) पर अपनी यूनिवर्सिटी की डाक (UNIVERSITY PIN CODE) द्वारा निर्गत किया जाता है अगर यूनिवर्सिटी पिन कोड तथा यूनिवर्सिटी के पते में किसी प्रकार की भिन्ता होती है तो आपका आवेदन निरस्त हो सकता है। 


नोट : ECA के आवदेन करने से पूर्व अपकी डिग्री विश्वविद्याय द्वारा निर्गत होनी आवश्यक है।

विश्वविद्याय में ट्रांस्क्रिप्ट बनने व पोस्ट का समय अगर अलग कर दें तो वर्ल्ड एजुकेशन सर्विसेज (WES) मूल्यांकन के लिए अधिकतम समय  उस दिन से लगभग सात (7) व्यावसायिक दिन है जब WES के द्वारा आपका पूर्ण आवेदन (सभी आवश्यक दस्तावेजों, जानकारी और शुल्क के पूर्ण भुगतान सहित) प्राप्त किया जाता है और आंतरिक कार्य लिए लिया  जाता है।

धन्यवाद। 
आपका दिन शुभ हो।
कैलाश भट्ट
ब्लॉगर,यूट्यूबर,
ऐमज़ॉन सहयोगी सदस्य

Hello. Friends, Today we will talk about which documents are required to study abroad after graduation and post graduation. And how they are made and  verified.
Friends, when you have completed your graduation or post graduation. Then you are given a mark sheet and a degree by the university.
After this, if you want to get further education from abroad, then first of all you have to get the ECA of the coming documents.

ECA of documents is done for the following purposes.
For advance studies,
 You are applying for express entry as a skilled worker and while doing PR VISA APPLY

ECA - Education Credential Assessment An Educational Credential Assessment (ECA) is used to verify that your degree, certificate (or other proof of your credential) is valid.

To do this, at present 5 (five) agencies provide service, whose names are.

1. WES - World Education Services
2. IQAS - International Qualification Assessment services
3. CES - Comparative Education Service
4. ICAS - International Credential Assessment Service
5. ICES - International Credential Evaluation

Note: ECA applications are not being accepted by IQAS from 19 November 2020. IQAS is mostly used by Pharmacist or B.Pharm students for ECA.

Out of all the above mentioned services, the complete WES service does the job of quickest and fastest verification. In this blog we will talk about WES service only.

To apply in WES, it is enough for you to have a photocopy of your mark sheet. After applying for WES, you get a WES reference number and an address.

After this, you have to submit a completed printout of the WES application and photocopy of all marksheets and transcript application form and submit it to your university from which you have received your education. Its fees vary from university to university.

Which ranges from Rs 1500 to Rs 2500, after that your transcript is printed by the university and after verifying the application of WES given by you, in a closed envelope, post your university to the address given in the WES application. (UNIVERSITY PIN CODE) If there is any discrepancy between the University PIN Code and the University Address, then your application may be canceled.

The maximum time for World Education Services (WES) assessment, excluding transcript generation and posting time at university, is approximately seven (7) business days from the day that your completed application (all required documents, information and fees) through WES including full payment of Rs.

Thank you.
Have a good day.
Kailash bhatt
Blogger. Youtuber,
Amazon Associate
member

DIFFERENCE BETWEEN DEGREE, DIPLOMA AND CERTIFICATE COURSES in हिंदी

भारत में आज भी यही सोच या तरीका है कि कोई भी  चार साल की ,तीन साल व पांच साल का डिग्री कोर्स हासिल करना  तथा उस के बाद नौकरी के लिए अप्लाई करना व जिस फील्ड में डिग्री ली है उस फील्ड में ही अपने को सीमित रखना । लेकिन  आज के समय मे जब  Corona virusकी वजह से बहुत से सेक्टर्स बंद हुए तथा नए सेक्टर्स ने जन्म लिया जैसे कि PPE किट FACE MASK SHIELD, सेक्टर्स CORONA VIRUS महामारी से पहले हम मै से  ज्यादातर लोगों ने इन चीजों का नाम तक नही सुना था। पर आज के समय मे ये एक नए उद्योग की तरह उभरा है । आज के समय में लोग पहले की तुलना में अधिक बार नौकरी और करियर बदलते हैं, तो क्या चार साल की डिग्री या तीन साल की डिग्री इसके लायक है? 



क्या होगा अगर  यदि आप पहले से ही एक कैरिअर फील्ड में हैं और यह बदलाव का समय है? चार साल की डिग्री हमेशा एक विकल्प होता है, लेकिन  डिग्री के साथ-साथ, प्रमाण पत्र और डिप्लोमा भी होते हैं जो मूल्यवान हो सकते हैं - और यह आपके लिए नए रास्ते खोल देते हैं।

डिग्री, सर्टिफिकेट और डिप्लोमा के बीच सबसे बड़ा अंतर उन्हें प्राप्त करने  में लगने वाला समय है। डिग्री कई प्रकार की होती है जैसे स्नातक, मास्टर या डॉक्टरेट और भी हो सकती है। किसी भी डिग्री में दो से चार साल या उससे अधिक का समय लगता है।


सर्टिफिकेट प्रोग्राम में वर्षों  के बजाय महीनों का समय लगता है, और कुछ सर्टिफिकेट्स को डिग्री प्रोग्राम के साथ भी प्राप्त किया जा सकता है। 

डिप्लोमा, डिग्री और सर्टिफिकेट  के बीच अंतर 



एक डिग्री क्या है?

डिग्री एक सबसे अच्छा  शिक्षा का  विकल्प है जहां आप अपने केरियर के लिए प्रमुख विषय  क्षेत्र को चुनते हैं। हालांकि, आपके प्रमुख  विषय के अलावा भी आपको अंग्रेजी, इतिहास, गणित और अन्य विषयों जैसी सामान्य कक्षाओं को भी पड़ना  होगा। यह एक प्रकार से स्टूडेंट को संपूर्ण ज्ञान देने जैसा है


डिग्री के लिए क्या आवश्यकताएं हैं?

आप स्नातक की डिग्री के लिए तभी आवेदन कर सकते हैं जब आप 12 बारहवीं / समकक्ष पास हो गए हों   अलग अलग स्नातक डिग्री के लिए अलग अलग मापदंड होते हैं परंतु ज्यातर डिग्री कोर्स के लिए 12th में 45% परसेंटेज से ऊपर की ही मांग की जाती है


डिग्री कोर्स का लिए आपके पास छात्र के रूप में लगभग चार  वर्षों के समय होना आवश्यक है। 

एक मास्टर डिग्री आमतौर पर स्नातक में Pass  होने के बाद कि जातीं है  और इसे अर्जित करने में नियुनतम दो साल तक का समय  लगता है  एक डॉक्टरेट कार्यक्रम आमतौर पर आपके द्वारा परास्नातक अर्जित करने के बाद शुरू होता है और कुछ वर्षों तक बढ़ सकता है। सटीक समय, अवधि ,कार्यक्रम और अध्ययन के क्षेत्र के आधार पर भिन्न होती है।



डिग्री के फायदे और नुकसान क्या हैं?

डिग्री का एक फायदा यह है कि कई कंपनी तथा इंडस्ट्री  को अक्सर एक की प्रकार डिग्री किये हुए लोगों की आवश्यकता होती है,  भले ही आपके specialization अलग प्रकार का भी हो जैसे कि होटल इंडस्ट्री  में ज्यादातर सभी होटल मैनेजमेंट किये लोगों की जरूरत होती है भले ही आप का फील्ड production हो या Accommadation हो या SERVICE हो। 

डिग्री करने वाले ज्यादातर छात्रों मे सयंम  का भाव अपने आप उत्पन्न हो जाता है, जो नौकरी के बाजार में फायदेमंद होता है और इसको कई कंपनियां प्राथमिकता भी देती हैं। इस लिए ज्यादातर कपनी / इंडस्ट्रीस डिग्री कोर्स किये हुए लोगों की डिमांड करती हैं


डिग्री अर्जित करने के अन्य लाभों में शामिल हैं:


उच्च वेतन अर्जित करने की बेहतर संभावना। एक  डिग्री के साथ, आप केवल एक हाई स्कूल डिप्लोमा की तुलना में प्रति वर्ष लगभग रुपये 20,000 अधिक कमा सकते हैं।

डिग्री में व्यक्ति महत्वपूर्ण सोच और विश्लेषण जैसे अतिरिक्त कौशल सीखता है

डिग्री प्रोग्राम को देखते समय कुछ नुकसान लागत और इसे पूरा करने में लगने वाले समय हैं। भले ही अधिकांश संस्थान किसी न किसी प्रकार की वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं, फिर भी डिग्री उच्च शिक्षा का सबसे महंगा रूप हो सकता है। वे आमतौर पर पूरा होने में सबसे लंबा समय लेते हैं और इसलिए एक महत्वपूर्ण समय की आवश्यकता होती है। 

डिग्री कोर्सेज प्राइवेट तथा गवर्मेंट विश्वविद्यालय द्वारा करवाये जाते हैं।



डिप्लोमा कोर्स 

डिप्लोमा कोर्स भी नौकरी पाने का एक अच्छा विकल्प है डिप्लोमा कोर्स   करने मे लगने वाला समय  सभी बोर्ड तथा विश्वविद्यालय अलग अलग होता है ज्यादातर डिप्लोमा कोर्सेज 1 से 3 साल तक के होते हैं डिप्लोमा कोर्स का एक सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि इसमें स्टूडेंट को सभी विषयों को नही पड़ना होता। डिप्लोमा कोर्स का प्रथम उदेश्य यह है कि स्टूडेंट को कम समय मे किसी एक विषय मे ज्यादा से ज्यादा ज्ञान देना तथा ज्यादातर डिप्लोमा कोर्स टेक्निकल technical फील्ड में करवाये जाते हैं  डिप्लोमा कोर्स बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन द्वारा पूरे भारत मे करवाये जाते हैं

सर्टिफिकेट कोर्स 

सर्टिफिकेट कोर्स करने में आमतोर पर 1 साल  व उस से कम का ही समय लगता है जो की जल्दी  नौकरी पाने का एक अच्छा विकल्प है परंतु सर्टिफिकेट कोर्स सभी इंडस्ट्री में मान्य नही होते है अपनी छोटी शुरुआत के लिए सुटुडेन्ट इसे कर सकता है जिस करने से स्टूडेंट को अनुभव प्राप्त होता है।

इस लिए मेरे अनुसार यह सिर्फ मेरा  सोचना है कि स्टूडेंट को डिग्री के साथ साथ एक डिप्लोमा या एक सर्टिफिकेट कोर्स भी करना चाहिए। जो अलग अलग फील्ड का हो मतलब जिस स्टूडेंट ने B.TECH डिग्री कोर्स  किया है तो वह स्टूडेंट एक होटल मैनेजमेंट सर्टिफिकेट कोर्स भी कर सकता है। और जिस स्टूडेंट ने होटल मैनजमेंट किया है वह एक कंप्यूटर सर्टिफिकेट कोर्स भी कर सकता है ताकि कोरोना जैसी महामारी में आप किसी भी फील्ड को अपना सकें

निष्कर्ष

डिग्री - डिग्री कोर्स में समय जरूर लगता है परंतु अच्छा व्यक्तित्व और  स्थिरता प्रदान करता है 

डिप्लोमा - डिप्लोमा कोर्स आपके लिए नए आयाम खोलता है। व आपको तकनीकी शिक्षा प्रदान करता है।

सर्टिफिकेट कोर्स - सर्टिफिकेट कोर्स शुरुवात करने के लिए बहुत अच्छा है व एक बैकअप की तरह काम करता है।





Even today in India the same thinking or method is that to get any four year, three year and five year degree course and after that apply for job and limit yourself in the field in which you have taken degree. . But in today's time when many sectors were closed due to Corona virus and new sectors were born such as PPE Kits FACE MASK SHIELD, Sectors Before the corona virus epidemic, most of us had not even heard the name of these things. But in today's time it has emerged like a new industry. People change jobs and careers more often than ever before, so is a four-year degree or a three-year degree worth it?



What if you're already in a career field and it's time for a change? A four-year degree is always an option, but along with degrees, there are also certificates and diplomas that can be valuable – and that open up new avenues for you.


The biggest difference between degree, certificate and diploma is the time taken to obtain them. There are many types of degrees such as bachelor's, master's or doctoral degree. Any degree takes two to four years or more.




Certificate programs take months rather than years, and some certificates can also be obtained with a degree program.


Difference between Diploma, Degree and Certificate




What is a degree?


Degree is one of the best education option where you choose the major subject area for your career. However, apart from your major subject, you will also have to take general classes like English, History, Maths and other subjects. It is like giving complete knowledge to the student in a way.




What are the requirements for the degree?


You can apply for a bachelor's degree only if you have passed  12th / equivalent. Different bachelor's degree has different criteria but for most degree courses, only above 45% percentile in 12th is demanded. Is




The degree course requires you to have about four years as a student.


A master's degree is usually done after you have passed the bachelor's and takes a minimum of two years to earn. A doctoral program usually starts after you earn a master's and can extend for a few years. The exact timing varies depending on the duration, program and field of study.






What are the advantages and disadvantages of degrees?


One advantage of a degree is that many companies and industries often require people with the same type of degree, even if your specialization is different, as in the hotel industry, most hotel management people are needed. Whether your field is production or acquisition or service.


Most of the degree students develop a sense of self-restraint, which is beneficial in the job market and is also preferred by many companies. That's why most of the companies / industries demand people who have done degree courses.




Other benefits of earning a degree include:




Better chances of earning a higher salary. With a degree, you can earn around Rs 20,000 more per year than with just a high school diploma.


In the degree, the individual learns additional skills such as critical thinking and analysis.


Some disadvantages when looking at a degree program are the cost and the time taken to complete it. Even though most institutions offer some form of financial aid, a degree can still be the most expensive form of higher education. They usually take the longest to complete and therefore require a significant amount of time.


Degree courses are conducted by private and government universities.




diploma course


Diploma course is also a good option to get a job. The time taken to do diploma course is different for all boards and universities, most of the diploma courses are from 1 to 3 years. Not all subjects have to be covered. The first objective of the diploma course is to give maximum knowledge to the student in any one subject in a short time and most of the diploma courses are conducted in the technical field. Diploma courses are conducted by the Board of Technical Education all over India.


certificate course


It usually takes only 1 year and less to do a certificate course, which is a good option to get a job quickly, but certificate courses are not valid in all industries, for their small start, Sutudent can do it, by which Student gets experience.


So according to me it is only my thinking that student should do a diploma or a certificate course along with degree. Which means different fields, means the student who has done B.TECH degree course, then that student can also do a hotel management certificate course. And the student who has done hotel management can also do a computer certificate course so that you can adopt any field in an epidemic like corona.


Conclusion


Degree - The degree course takes time but provides good personality and stability


Diploma - Diploma course opens up new dimensions for you. and provide you technical education

Certificate Course - Certificate course is great to start with and acts as a backup.



Basic Difference Between Migration Certificate or Transfer Certificate in हिन्दी

नमस्कार।  माइग्रेशन तथा ट्रांसफर सर्टिफिकेट में क्या अंतर होता है माइग्रेशन सर्टिफिकेट:- माइग्रेशन सर्टिफिकेट एक प्रकार की NOC होती है जो स्टूडेंट को ये राइट देती है कि वो इसको प्राप्त करने का बाद कहीं भी किसी भी यूनिवर्सिटी या बोर्ड में एडमिशन ले सकता है माइग्रेशन सर्टिफिकेट बोर्ड या यूनिवर्सिटी द्वारा निर्गत किया जाता है इसको कोई स्कूल या कॉलेज निर्गत नही कर सकता। बोर्ड द्वारा 10 th या 12 th के एग्जाम देने का बाद निर्गत किया जाता है और यूनिवर्सिटी द्वारा यूनिवर्सिटी एग्जाम देने का बाद। माइग्रेशन सर्टिफिकेट प्राप्त होने का या मतलब नही होता की स्टूडेंट न परीक्षा पास की है क्योंकि माइग्रेशन सर्टिफिकेट सिर्फ एक NOC है जो स्टूडेंट को दूसरी जगह पर एडमिशन लेने के लिए राइट प्रदान करती है इस लिए इस पर स्टूडेंट की बहुत कम इनफार्मेशन होती है जैसे स्टूडेंट का नाम , स्टूडेंट का पिता का नाम , कोर्स का नाम और स्टूडेंट ने एग्जाम कब दिया, इस पर यह कहीं मेंशन नही होता कि स्टूडेंट पास हुआ या FAIL  बोर्ड तथा यूनिवर्सिटी के फॉरमेट अलग अलग हो सकते हैं।।           ट्रांसफर सर्टिफिकेट:- ट्रांसफर सर्टिफिकेट  तब निर्गत किया जाता है जब स्टूडेंट के  द्वार वो क्लास पास कर ली गयी हो ट्रांसफर सर्टिफिकेट स्कूल या कॉलेज का द्वारा निर्गत किया जाता है इसमें बोर्ड तथा यूनिवर्सिटी का किसी प्रकार का हस्तक्षेप नही होता ट्रांसफर सर्टिफिकेट स्कूल का प्रिंसिपल व कॉलेज के डिरेक्टर का द्वारा निर्गत किया जाता है ट्रांसफर सर्टिफिकेट में स्टूडेंट की सारी जानकारियां लिखी होतीं हैं जैसे स्टूडेंट नाम , पिता का नाम , जन्म तिथि , क्लास जो पास की है, एडमिशन की तारीख, स्कूल में उपस्थिति की अंतिम तारीखधन्यवाद आपका दिन शुभ हो । कैलाश भट्ट             
           Hello. What is the difference between Migration and Transfer Certificate Migration Certificate: - Migration Certificate is a type of NOC which gives the right to the student that after obtaining it, he can take admission in any university or board anywhere, Migration Certificate Board Or is issued by the university, it cannot be issued by any school or college. It is issued by the board after giving the 10th or 12th exam and after giving the university exam by the university. Getting the migration certificate does not mean that the student has not passed the exam because the migration certificate is just a NOC which gives the right to the student to take admission in another place, so there is very little information of the student on it like student Name of the student, father's name, course name and when the student gave the exam, it is not mentioned anywhere whether the student passed or the format of FAIL board and university may be different. Transfer Certificate: - Transfer certificate is issued when the class has been passed by the student, transfer certificate is issued by the school or college, there is no interference of the board and the university, the transfer certificate is issued by the principal of the school and the school. It is issued by the director of the college, in the transfer certificate all the details of the student are written like student name, father's name, date of birth, class passed, date of admission, last date of attendance in school.                 
Thank you with warm regards.     Kailash Bhatt

What is The Difference Between CGPA,SGPA,AGPA in हिन्दी

                                        नमस्कार। SGPA , CGPA व AGPA में क्या अंतर होता है।।        
  SGPA : SGPA  की पूरी डेफिनेशन या फुल फॉर्म होति है (SEMESTER GRADE POINT AVERAGE) सेरेस्टर ग्रेड पॉइंट एवरेज। इसमें स्टूडेंट का जो कोर्स होता है वो सेमेस्टर एग्जामिनेशन सिस्टम बेस होता है। सेमेस्टर बेस का मतलब साल में दो बार पेपर होते है सेरेस्टर दो प्रकार के होते हैं एक होता है इवन सेमेस्टर और दूसरा होता है ओड सेमेस्टर । तो SGPA को कैलकुलेट या समझा भी सेमेस्टर सिस्टम के अनुसार ही जाता है  जैसे कि किसी स्टूडेंट को अपना ओड सेमेस्टर का SGPA देखना है तो सभी ओड सेमेस्टर के SGPA को देखा जायेगा अगर स्टूडेंट को इवन सेरेस्टर का SGPA देखना है तो सभी इवन सेमेस्टर को देखा जायेगा। SGPA में स्टूडेंट का पेरफ़ॉर्मेन्स सेमेस्टर वाइज देखा जाता है। कि किस एक पर्टिकुलर सेमेस्टर में स्टूडेंट की पेरफ़ॉर्मेन्स क्या रही।               CGPA: CGPA की पूरी डेफिनेशन या फुल फॉर्म होती है (CUMCULATIVE GRADE POINT AVERAGE) कमक्यूलटिव ग्रेड पॉइंट एवरेज इस से ये पता लगता है कि आप अपनी यूनिवर्सिटी फर्स्ट क्लास पास हुए हैं या सेकंड क्लास पास हुए हैं जैसे अपने अपनी यूनिवर्सिटी से कोई 4 साल का कोर्स किया तो उसमें अपने प्रतेक 8 सेमेस्टर में क्या पेरफ़ॉर्मेन्स दिया सब सेमेस्टर  के जोड़ को CGPA कहा जायगा ।।                     AGPA: AGPA की पूरी डेफिनेशन व फुल फॉर्म होती है ( ANNUAL GRAD PONT AVERAGE) एनुअल ग्रडे पॉइंट एवरेज इसमे स्टूडेन्ट की एक साल की पेरफ़ॉर्मेन्स देखी जाती है । AGPA जब भी निकला जायगा तो  उस मे दो अलग अलग सेमेस्टर होना बहुत जरूरी है जैसे एक इवन सेमेस्टर औऱ एक ओड सेमेस्टर तभी वो एनुअल कहा जायेगा तभी आप AGPA निकाल सकते हो                                         
                                                                      निष्कर्ष                                                       
 SGPA निकलने  के लिए आपको एक सेमेस्टर चाइए।         
CGPA निकलने  के लिए आपको से सभी सेमेस्टर चाइये।
AGPA निकलने के लिए आपको एक साल के दोनों सेमेस्टर चाइये।                                                                        
धन्यवाद आपका दिन शूभ हो । कैलाश भट्ट



  Hello. What is the difference between SGPA, CGPA and AGPA.  
SGPA : The full definition or full form of SGPA is (SEMESTER GRADE POINT AVERAGE) SEMESTER GRADE POINT AVERAGE. In this, the course of the student is based on the semester examination system. Semester basis means there are papers twice a year, there are two types of semester, one is even semester and the other is odd semester. So the SGPA is calculated or understood according to the semester system like if a student wants to see his Odd Semester SGPA then all the odd semester SGPA will be seen, if the student wants to see the SGPA of Even Semester then all the even semesters will be seen will go. The performance of the student in SGPA is seen semester wise. What was the performance of the student in any particular semester. 
CGPA: Full definition or full form of CGPA is (CUMULATIVE GRADE POINT AVERAGE) Cumulative Grade Point Average, this shows whether you have passed your university first class or passed second class like any 4 years from your own university. If you have done a course then what is your performance in each of the 8 semesters, the sum of all the semesters will be called CGPA.
    
 AGPA: The full definition and full form of AGPA is (ANNUAL GRAD POINT AVERAGE) Annual Grade Point Average, in which the student's performance of one year is seen. Whenever AGPA will be released, it is very important to have two different semesters like an even semester and an odd semester, only then it will be called annual only then you can take AGPA
 conclusion,
 you need one semester to get SGPA. 
You need all semesters to get CGPA. 
You need both semesters of a year to get AGPA. 

Thank You With Warm Regards
Kailash Bhatt


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